यह जानकर भी हम इस ओर कदम नहीं उठाते । यदि किसी के कहने सुनने से उठकर चल भी पड़ते है, तो ज्यादा नहीं चल पाते, थककर बैठ जाते है ! और पुनः उसी वातावरण में लौटने लगते है ।।
नरदेवोऽसि वेषेण नटवत्कर्मणाद्विजः ।।5।। राजा परीक्षित ने राजवेषधारी कलियुग से कहा:- रे तू नट की भाँति वेश तो राजा का-सा बना रखा है, परन्तु कर्म से तू शुद्र (उद्दण्ड) जान पड़ता है ।।5।।
पुनः उसी वातावरण में लौटने लगते है ।। Usi Vatavaran Me Lautana.
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