मित्रों, आर्य संतान जिन्हें हिंदू कहा जाता है, में कौन ऐसा होगा जो वेद का आदर न करता हो ? इस बात का अभिमान न करता हो कि हमारे धर्म का मूल वेद है । बीच के समय में कुछ तथाकथित लोगों ने वैष्ण्ाव, शैव, शाक्त आदि के नाम पर वैदिक धर्म में बहुत अधिक भेद और अनैक्य फैला दिया था, परन्तु वेद के मानने में सब एक हो जाते हैं ।।
यहाँ तक कि सभी लोग अपने-अपने संप्रदाय का मूल भी वेद को ही मानते हैं । जब तक हम वैदिक पथ का अनुसरण करते रहे हिंदू जाति बराबर प्रबल रही । लेकिन उधर बौद्ध और जैन धर्म का उभरना इधर क्रिश्चन और इस्लाम मिशनरी के दु:ष्प्रचार ने लोगों में ऐसी भेद बुद्धि पैदा कर दी कि हम शनैः-शनैः क्षीण होते गए ।।
वेद के मानने में सब एक हो जाते हैं ।। Vedic Manyata Sabhi ke Liye.
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