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कामनाओं की पूर्ति का एक अकाट्य साधन यज्ञ ।। An undisputed means of fulfilling desires - Yagya. Part-3.

कामनाओं की पूर्ति का एक अकाट्य साधन यज्ञ ।। An undisputed means of fulfilling desires - Yagya. Part-3.


कुबुद्धि, कुविचार, दुर्गुण एवं दुष्कर्मों से विकृत मनोदशा में यज्ञ के माध्यम से भारी मात्रा में सुधार होता है । इसलिए यज्ञ को पापनाशक कहा गया है । यज्ञीय प्रभाव से सुसंस्कृत हुई विवेकपूर्ण मन:स्थिति का प्रतिफल जीवन के प्रत्येक क्षण को स्वर्ग जैसे आनन्द से भर देता है, यही कारण है, कि यज्ञ को स्वर्ग देने वाला कहा गया है ।।


मित्रों, यज्ञीय कार्यों या प्रक्रियाओं में भाग लेने से आत्मा पर चढ़े हुए मल-विक्षेप दूर हो जाते हैं । फलस्वरूप तेजी से उसमें ईश्वरीय प्रकाश जगता है । यज्ञ से आत्मा में ब्राह्मणत्त्व, ऋषि तत्त्व की वृद्धि दिनानु-दिन होती है । यही नहीं, आत्मा को परमात्मा से मिलाने का परम लक्ष्य भी बहुत सरल हो जाता है ।।



आत्मा और परमात्मा को जोड़ देने का, बाँध देने का कार्य यज्ञाग्नि द्वारा ऐसे ही होता है, जैसे लोहे के टूटे हुए टुकड़ों को वेल्डिंग की अग्नि जोड़ देती है । ब्राह्मणत्व यज्ञ के द्वारा प्राप्त होता है, इसलिए ब्राह्मणत्व प्राप्त करने के लिए एक तिहाई जीवन यज्ञ कर्म के लिए अर्पित करना चाहिये ।।

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