मनुस्मृति का सच ।। Manusmriti Ka Sach.Part-3
मनुस्मृति का सच ।। Manusmriti Ka Sach.Part-3
जय श्रीमन्नारायण,
शुचिरुत्कृष्टशुश्रूषुर्मृदुवागऽनहङ्कृतः ।।
ब्राह्मणाद्याश्रयो नित्यमुत्कृष्टां जातिमश्नुते ।।३३५।। (मनुस्मृति - अध्याय ९)
अर्थ:- स्वच्छता से रहने वाला, उद्यमी, मधुर वाणी बोलने वाला, अहंकार रहित श्रेष्ठजनों की सेवा करनेवाला एक अधम कुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति भी उच्च कुल को प्राप्त हो जाता है ।।३३५।।
इस श्लोक का साधारण अर्थ आप सभी के सम्मुख है । अब आप इस श्लोक के द्वारा मनु जी के विचारों को इस श्लोक के भावार्थ के माध्यम से जो मेरा दृष्टिकोण भी है, से समझने का प्रयास करें ।।
जय श्रीमन्नारायण,
शुचिरुत्कृष्टशुश्रूषुर्मृदुवागऽनहङ्कृतः ।।
ब्राह्मणाद्याश्रयो नित्यमुत्कृष्टां जातिमश्नुते ।।३३५।। (मनुस्मृति - अध्याय ९)
अर्थ:- स्वच्छता से रहने वाला, उद्यमी, मधुर वाणी बोलने वाला, अहंकार रहित श्रेष्ठजनों की सेवा करनेवाला एक अधम कुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति भी उच्च कुल को प्राप्त हो जाता है ।।३३५।।
इस श्लोक का साधारण अर्थ आप सभी के सम्मुख है । अब आप इस श्लोक के द्वारा मनु जी के विचारों को इस श्लोक के भावार्थ के माध्यम से जो मेरा दृष्टिकोण भी है, से समझने का प्रयास करें ।।
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