मनुस्मृति का सच ।। Manusmriti Ka Sach.Part-2
मनुस्मृति का सच ।। Manusmriti Ka Sach.Part-2
जय श्रीमन्नारायण,
आइये प्रमाण के तौर पर एक श्लोक को देखें, कि वास्तव में मनु जी कहना क्या चाहते हैं हमें और हमारे सम्पूर्ण मानव समाज के विषय में ।।
शुचिरुत्कृष्टशुश्रूषुर्मृदुवागऽनहङ्कृतः ।।
ब्राह्मणाद्याश्रयो नित्यमुत्कृष्टां जातिमश्नुते ।।३३५।। (मनुस्मृति - अध्याय ९)
अर्थ:- स्वच्छता से रहने वाला, उद्यमी, मधुर वाणी बोलने वाला, अहंकार रहित श्रेष्ठजनों की सेवा करनेवाला एक अधम कुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति भी उच्च कुल को प्राप्त हो जाता है ।।३३५।।
जय श्रीमन्नारायण,
आइये प्रमाण के तौर पर एक श्लोक को देखें, कि वास्तव में मनु जी कहना क्या चाहते हैं हमें और हमारे सम्पूर्ण मानव समाज के विषय में ।।
शुचिरुत्कृष्टशुश्रूषुर्मृदुवागऽनहङ्कृतः ।।
ब्राह्मणाद्याश्रयो नित्यमुत्कृष्टां जातिमश्नुते ।।३३५।। (मनुस्मृति - अध्याय ९)
अर्थ:- स्वच्छता से रहने वाला, उद्यमी, मधुर वाणी बोलने वाला, अहंकार रहित श्रेष्ठजनों की सेवा करनेवाला एक अधम कुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति भी उच्च कुल को प्राप्त हो जाता है ।।३३५।।
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