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निति, नियम और व्यक्ति का आचरण ।। Policies, rules and practices - Bhagwat Katha.

मित्रों, भगवान कृष्ण ने कहा:- अर्जुन किस सोच में बैठ गये ? अर्जुन ने कहा, आर्यश्रेष्ठ मेरे सामने मेरे अपने ही खड़े है, मैं उन पर कैसे जहर बुझे बाणों को चला सकता हूँ ? यह मुझसे संभंव नही है ।।


भगवान कृष्ण ने कहा:- अर्जुन जिन्हें तुम अपने समझ रहे हो, वे तुम्हारे नहीं है । यदि तुम्हारे होते तो इस प्रकार का व्यवहार नहीं करते और तुम यहां खड़े नही होते । अत: हे अर्जुन यह संसार एक माया है । यहां सब अपने कर्मों के अनुसार ही जन्म लेते हैं । और कर्मो के अनुसार ही सुख-दुख को अनुभव करते है ।।

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